मेरा विश्वास है कि जीवन में सबसे ज्यादा दर्द परमेश्वर के कारण होता है
अगर वह ब्रह्मांड की परम शक्ति है
तो यकीनन सारे दर्द के लिए वही ज़िम्मेदार है ।

आओ हम हजारों साल पीछे चलें, जब ब्रह्मांड का परमेश्वर अपने विषय में बताता है …
यहोवा उसके सामने होकर यों प्रचार करता हुआ चला, “ यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है ।”
निर्गमन 34:6-7
परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे ।
1 यूहन्ना 3:8
तो इन सबका क्या मतलब है?
परमेश्वर के चरित्र और स्वभाव का यह प्रकाशन, जो पाप को क्षमा करने की इच्छा रखता हैऔर इसका न्याय भी करता है, इसका उदाहरण हमारी आँखों के सामने यीशु का जीवन है, जो हमारे पापों के लिए भुगतान करने और सभी बुराई को हराने के लिए मर गया ।
परमेश्वर को सभी पीड़ाओं के स्रोत के रूप में पहचानने के बजाय, हम इस सच्चाई से सामना करते हैं कि यह परमेश्वर ही है जो सभी आनंद, शांति और प्रेम का स्रोत है । क्योंकि यीशु हमारे विद्रोह के लिए भुगतान बन गया, हम इस जीवन में अब परमेश्वर के प्रेम और दया का अनुभव कर सकते हैं, और हम उसके साथ अनन्त जीवन की आशा कर सकते हैं ।
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जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं । प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा ।
1 यूहन्ना 4:9-10