मेरा विश्वास है कि जीवन में सबसे ज्यादा दर्द लोगों के कारण होता है
यदि आप प्रमुख खबरों, या यहां तक कि अपने स्वयं के जीवन में दिल की पीड़ा को देखते हैं
तो कोई न कोई तो इसके लिए ज़िम्मेदार होना चाहिए

लेकिन परमेश्वर ने हमें अपने पाप का कैदी नहीं छोड़ा । उसने पाप और मृत्यु को हराने और परमेश्वर के साथ हमारा मेलमिलाप कराने के लिए यीशु मसीह को भेजा ।
क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ ।
रोमियों 5:15
तो इन सबका क्या मतलब है?
यह कहना कि बुरे लोग हमारे दर्द का कारण है यह तो समस्या को सरल बनाना है । यदि हम अपने आप को बड़े ध्यान से और ईमानदारी से जांचते हैं, तो हम महसूस करेंगे कि भले ही हम खुद को अच्छे लोग मानते हैं लेकिन हमने खुद को और अपने आस-पास के लोगों द्वारा अनुभव किए गए दर्द में भी योगदान दिया है ।
यदि यह सत्य है कि परमेश्वर ने पहले से ही दुख को खुशी में बदलने और मृत्यु को हराने और जीवन को हमेशा के लिए स्थापित करने की योजना बनायी थी, तो क्या होगा? क्या आप परमेश्वर की इस योजना का हिस्सा नहीं बनना चाहेंगे ? केवल यीशु में ही हमारे पाप के दर्दनाक परिणामों से अंतिम मुक्ति का वादा है ।
क्या आप अपने क्षेत्र में से किसी के साथ जुड़ना चाहते हैं ?
क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है ।
रोमियों 6:23